चीन के डैम से बदल रही है पृथ्वी की चाल — सच या सनसनी?
प्रस्तावना
पिछले कुछ समय से यह दावा फैल रहा है कि चीन में बनाए गए विशाल बांध, विशेषकर थ्री गॉर्जेज डैम (Three Gorges Dam), ने पृथ्वी की घूर्णन गति (rotation) और धुरी (axis) को बदल दिया है। कहा जा रहा है कि नासा ने इस परिवर्तन को “100% प्रमाण” के साथ स्वीकार किया है। लेकिन क्या यह दावा सच है? इस लेख में हम प्रमाण, वैज्ञानिक सिद्धांत, आलोचनाएँ और निष्कर्ष सब देखेंगे।

1. यह दावा क्या कहता है?
- दावा है कि चीन के थ्री गॉर्जेज डैम ने भारी मात्रा में पानी को संग्रहित किया है, जिससे पृथ्वी के द्रव्यमान का वितरण बदल गया, और इसी कारण से धरती की घूर्णन गति थोड़ा धीमी हुई।
- कहा जाता है कि इस प्रभाव के कारण एक दिन की लंबाई 0.06 माइक्रोसेकंड (microseconds) बढ़ी है।
- इसके अतिरिक्त, दावा किया जाता है कि धरती की धुरी (polar axis) में हल्की सी विस्थापन हुई है, लगभग 2 सेंटीमीटर (2 cm) तक।
- इसे “नासा पुष्टि करता है कि यह हो रहा है” जैसा प्रचार बहुत हुआ है।
2. वैज्ञानिक सिद्धांत — कैसे संभव हो सकता है?
नीचे बताया गया है कि कैसे यह संभवतः हो सकता है — और इसके सीमाएँ क्या हैं:
(a) जड़त्व क्षण (Moment of Inertia) और द्रव्यमान वितरण
- किसी घूमती वस्तु (जैसे पृथ्वी) में यदि उसके द्रव्यमान का वितरण बदल जाए (उदाहरण के लिए, पानी एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाए), तो उसका मॉमेंट ऑफ इनर्शिया बदल सकता है।
- यदि द्रव्यमान धुरी से दूर ले जाए जाए, तो घूर्णन धीमा हो सकता है (ठीक उसी तरह जैसे किसी स्केटर के हाथ फैलाने पर उसकी स्पिन धीमी हो जाती है)।
- थ्री गॉर्जेज डैम उन जगहों पर स्थित है जहाँ जल भंडारण ने बहुत अधिक द्रव्यमान जोड़ दिया है।
(b) भू-भौतिक मापन एवं उपग्रह तकनीक
- वैज्ञानिक उपग्रह (जैसे GRACE मिशन) पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र (gravity field) में सूक्ष्म बदलाव मापते हैं।
- भूभौतिक और भूगर्भीय अध्ययन समय-समय पर यह देख लेते हैं कि जल भंडारण, हिम ग्लेशियर पिघलना, समुद्रस्तर में बदलाव आदि कैसे पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र को प्रभावित करते हैं।
- NASA और अन्य वैज्ञानिक अध्ययन (जिन्हें “mass redistribution effects” कहा जाता है) इस तरह की घटनाओं का अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं।
3. क्या वाकई नासा ने “100% प्रमाण” दिया है?
यहाँ महत्वपूर्ण सत्य और सावधानी हैं:
- नासा ने कोई आधिकारिक बयान जारी करके यह नहीं कहा है कि “100% प्रमाण है कि डैम ने पृथ्वी की धुरी बदल दी है।”
- अधिकांश लेखरचनाएँ और न्यूज पोर्टल्स इस दावे को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करते हैं।
- नासा के वैज्ञानिक डॉ. बेनजामिन फोंग चाओ ने 2005 में एक अध्ययन में उल्लेख किया था कि बड़े पैमाने पर द्रव्यमान स्थानांतरण (mass shifts) पृथ्वी की घूर्णन गति को प्रभावित कर सकते हैं।
- इस अध्ययन ने यह सुझाव दिया कि थ्री गॉर्जेज डैम के जल भंडारण का प्रभाव लगभग 0.06 माइक्रोसेकंड प्रतिदिन हो सकता है।
- जबकि यह एक वैज्ञानिक अनुमान है, इसे “100% प्रमाण” कहना अत्यंत अतिशयोक्ति (exaggeration) है।
4. प्रमाणों की समीक्षा — ताकतें और कमियाँ
पक्ष | विश्लेषण |
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ताकतें / समर्थन | - वैज्ञानिक सिद्धांत (mass redistribution affecting rotation) भौतिक रूप से संभव है। - उपग्रह एवं गुरुत्वीय मापन तकनीकें अब बहुत संवेदनशील हैं। - कई लेख इस विषय को सूत्रों के साथ जोड़ते हैं। |
कमियाँ / विवाद | - प्रभाव बहुत सा छोटे हैं — 0.06 माइक्रोसेकंड जैसे मान दैनिक जीवन पर कोई असर नहीं डालते। - मापन त्रुटियों (measurement errors) और अलग-अलग स्रोतों में मतभेद हो सकते हैं। - अन्य प्राकृतिक घटनाएँ (जैसे भूकंप, ग्लेशियर पिघलना, महासागरों की गतियाँ) भी इस तरह की प्रभाव डाल सकती हैं, और उनका योगदान अक्सर बड़ा होता है। - कई मीडिया रिपोर्ट्स ने संवेदनशील वैज्ञानिक निष्कर्षों को सनसनीखेज भाषा में प्रस्तुत किया है। |
5. निष्कर्ष — सच या मिथक?
- यह संभव है कि थ्री गॉर्जेज डैम जैसे बड़े बाँध ने पृथ्वी की घूर्णन गति पर एक अत्यंत सूक्ष्म (very tiny) प्रभाव डाला हो — वैज्ञानिक अनुमान के अनुसार लगभग 0.06 माइक्रोसेकंड प्रति दिन
- लेकिन यह कहना कि नासा ने “100% प्रमाण” दिया है कि डैम ने धरती की धुरी बदल दी है — वह दावा वर्तमान वैज्ञानिक साक्ष्यों के अनुसार अत्यधिक अतिशयोक्ति है।
- ऐसे अध्ययन हमें यह सिखाते हैं कि मानव गतिविधियाँ, चाहे कितनी बड़ी हों, प्रकृति की प्रणालियों पर संभावित प्रभाव डाल सकती हैं — लेकिन यह प्रभाव बहुत सूक्ष्म और जटिल होते हैं।