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खतरनाक Brain-Eating Amoeba ने केरल में दी दस्तक 🧠

 

केरल में नया खतरा: Brain-Eating Amoeba (Naegleria fowleri) का प्रकोप 🧠

परिचय

  • केरल में एक दुर्लभ लेकिन बेहद खतरनाक संक्रमण फैल रहा है, जिसका नाम है Primary Amoebic Meningoencephalitis (PAM), जिसे आम भाषा में “brain-eating amoeba” कहा जा रहा है। इस बीमारी का कारण एक अमीबा है — Naegleria fowleri — जो ताजे पानी में पनपती है और नाक के मार्ग से शरीर में प्रवेश कर मस्तिष्क (brain) को प्रभावित करती है।


वर्तमान स्थिति (As of September 2025) 

  • इस साल केरल में करीब 69 मामलों की पुष्टि हुई है और अब तक 19 मौतें हुई हैं।
  • प्रभावित आयु समूह बेहद व्यापक है — एक तीन महीने के बच्चे से लेकर 91 वर्ष के बुज़ुर्ग तक।
  • मामलों का फैला जाना (spread) अब सिर्फ खास स्थलों तक सीमित नहीं है; कई जिलों से अलग-अलग जगहों पर रिपोर्ट मिल रही है।

ये अमीबा कैसे फैलती है?

  • Naegleria fowleri मुख्यतः गर्म, ताज़ा और सैलाब-स्थल जैसे stagnant पानी (तालाब, नदियाँ, कुएँ) में पाई जाती है।
  • यह सिर्फ नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश कर सकती है, विशेष रूप से जब व्यक्ति नहाने, तैरने या धूल-युक्त वातावरण में हो। पानी निगलने से यह बीमारी नहीं होती है।
  • पानी का तापमान जितना ज़्यादा गर्म होगा, अमीबा के पनपने की संभावना उतनी ही बढ़ जाती है।


लक्षण (Symptoms) क्या हैं?

  • शुरूआती लक्षण (1-12 दिन बाद):

    • तेज बुखार
    • सिरदर्द (headache)
    • मिचली (nausea), उल्टी (vomiting)

  • बाद में होने वाले अधिक गंभीर लक्षण:

    • गर्दन का जकड़ना (stiff neck)
    • भ्रमित होना, दौरे (seizures), हलुसिनेशन (hallucinations)
    • संतुलन बिगड़ना, चेतना प्रभावित होना (coma)

  • रोग की गति बहुत तेज़ है — कुछ ही दिनों में स्थिति खराब हो सकती है।



इलाज और मृत्यु दर 

  • विश्व स्तर पर इस बीमारी की मृत्यु दर लगभग 95-98% के बीच है।
  • लेकिन केरल में हाल के समय में survival rate ~ 24% दर्ज किया गया है क्योंकि लोग जल्दी पहचान कर इलाज करवा रहे हैं।
  • इलाज में शामिल है: 

    • मिल्टेफोसीन (miltefosine) जैसे दवाएँ जो अमीबों पर प्रभाव डालती हैं।
    • अन्य एंटिपरासाइटिक दवाएँ और अस्पताल में समर्थ देखभाल (supportive care)।

बचाव के उपाय (Prevention) 🛡️

  • गंदे या खारे/ untreated पानी में तैरने या नहाने से बचें। 
  • जब ताजे पानी में जाना हो तो नाक को कवर करें, या नोज क्लिप का प्रयोग करें। 
  • सार्वजनिक नहरों, तालाबों, स्विमिंग पूल आदि का नियमित क्लोरीन परीक्षण और साफ-सफाई सुनिश्चित करें। 
  • नाक की सफाई, Neti pot आदि उपकरणों में फिल्टर्ड या उबला हुआ पानी इस्तेमाल करें।
  • किसी भी अजीब लक्षण जैसे तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी आदि होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर पहचान इलाज को सफल बनाने में बड़ी भूमिका रखती है।


सरकार और स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

  • केरल सरकार ने ताज़ा मामलों के बाद तत्काल सतर्कता बढ़ा दी है।
  • स्वास्थ्य विभाग ने “Jalamanu Jeevan” नाम की chlorination drive शुरू की है, wells, ponds, public water sources आदि में क्लोरीन डाला जा रहा है। 
  • सभी जिलों में माइक्रोबायोलॉजी लैब्स को सक्षम बनाया जा रहा है ताकि जल्दी परीक्षण हो सके।

निष्कर्ष

  • यह “brain-eating amoeba” कोई काल्पनिक वायरस नहीं है बल्कि एक स्थापित अमीबा है जिसमें समय रहते सावधानी न बरती जाए तो परिणाम घातक हो सकते हैं। केरल की स्थिति चिंताजनक है लेकिन उम्मीद की किरण है कि अगर जागरूकता बढ़े, पानी साफ हो, और जल्दी उपचार हो, तो मृत्यु दर को घटाया जा सकता है।


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